क्या है प्रतिभा का आखरी दाव ‼️प्रतिभा के पास अभि राजनीती का इस्पिक एक्का बाकी?

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चंद्रपूर(15एप्रिल )सुशांत घाटे
लोकसभा चुनावो के मद्देनजर अब राजनीतिक माहोल ने रंगीन नजारा कर दिया है!
चुनावो के एजेंडे को राजनीतिक दल के उम्मीदवार और नेता मतदाताओ के बीच जाकर अपनी कवायद तेज करते नजर आ रहे है!
भाजपा प्रत्याशी सुधीर मुनगंटीवार के लिये नेता, अभिनेता भी चुनाव का प्रचार जमकर करने मे जुटे हुये है! भाजपा के लिये येह बेहद रस्सीखेच का चुनाव,
जितने के लिये एडी चोटी की पुरी ताकत लगाते हुये लोकसभा के क्षेत्र मे अपना परचम लहरा रहे है! भाजपा द्वारा खास ध्यान अन्य पार्टीयोके उन नेता ओ पर भी दिया जा रहा है, जो काँग्रेस के वोट बँक को काट सके और भाजपा प्रत्याशी को जीत के कागजो पर ले आये?
ऐसे लोगो को भी कुछ दलो ने खडा किया है, जो कभी समाज के लिये कार्य करते हुये दिखे ही नही, ऐन चुनाव के वक्त सिर्फ उम्मीदवार का खडा होना सिर्फ राजनीती अर्से के लिये ही मानो बीच मे काटो का बगीचा तैयार किया हो?
अगर इन
उम्मीदवारो को सवाल दागा जाये तो नो कंमेंट के तौर पर नजर आ रहे है?
उधर काँग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा धानोरकर के लिये ना कोई बडा नेता, ना अभिनेता फिर भी उनका नारा अब अकेली…”मैं खडी, अकेली लढी और चुनाव मे चल पढी “करते हुये कसबे से लेकर तो शहर तक अपनी नारी शक्ती की ताकत लगाते हुये दहाड फुक चुकी है?
ना कोई हार का डर, ना कोई चिंता करते हुये अपनी आवाज आवाम तक पहुचाने के लिये गर्म जोशी मिजाज के साथ बडी सरलता से अपनी जीत की उम्मीद बनायी बैठी हुयी है?

ना कोई लंबे अर्से का राजनीतिक अनुभव और ना तो चालबाजीयो की चाबी रखने वाली इस महिला उम्मीदवार को भाजपा के दिग्गज प्रत्याशी सुधीर मुनगंटीवार के साथ इस लोकसभा चुनाव मे लढणे के लिये कडी मेहनत करणी पड रही है?
धीरे धीरे करते हुये काँग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा धानोरकर ने अबतक लोकसभा क्षेत्र के लगभग पुरे इलाको मे जमिनी लेवल से संपर्क बनाया हुआ है!और अपना आखरी दाव खेलने के लिये इंतेजार कर रही है?

..आखिर क्या है प्रतिभा का आखरी दाव?
हर कोई नेता मे वो खासियत नही होती जो अपने पास रखे हुये टॅलेंट को वक्त पर दिखा सके!
स्वर्गवासी सांसद सुरेश उर्फ बाळू धानोरकर ऐसे उमदा नेतृत्व थे जो किसी नाम के मौताज नही थे, उन्होने अगर चाहा तो वो उसे हासील करने के लिये साम दाम इस्थमाल कर अपनी राजनीती को चार चांद लगा देते थे?
पलडा किसी का भी भारी हो उनके पास उसका खास इलाज रहता था?
ऐसे व्यक्ती के साथ पत्नी का दर्जा लेकर विधायक प्रतिभा धानोरकर भी इस तालीम को समजते हुये राजनीतिक अखाडे की पूर्तीली महिला पहलवान बनकर कुद पडी हुयी है?
आखिरी दाव मे भी बाजी को पलटाने की, ताकत रखने वाली इस महिला उम्मीदवार का इस्पिक का एक्का अभि बचा हुवा है!

राजनीतिक गलियारो का भलाई अनुभव कम राहा हो,
पर ऐसे छत्र छाया मे रही है, जो किसी भी तरह का मुकाबला जितने के लिये अंतिम साँस तक अपनी लढाई आन बाण शान से लढा है!
अब देखना यह बाकी है की है की राजनीती की इस भुचाल मे मतदाता कमल को साथ देते या फिर पंजे को येह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा?