हम दो काले कोयला चोर है? वक्त की येह हेरा-फेरी है..

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हम दो काले कोयला चोर है?
वक्त की येह हेरा-फेरी है..

लग रहे आरोप….

क्या है काला सच…
करोडो की कोयला हेरा फेरी….
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चंद्रपूर -कोयले का काला साम्राज्य अब बढता हुवा नजर आ रहा है, लुटेरो की टोलिया कोयला लुटणे मै कोई कसर नही छोड रही है? चंद्रपूर जिले के सास्ती, पवणी और गौरी खदान से चार लाख मेट्रिक टन कोयला मध्यप्रदेश के खंडवा पॉवर प्लांट को भेजा जाना है छह महिने के भितर इस कोयले को मध्यप्रदेश पॉवर प्लांट को राजुरा के पंढरपौनी रेल्वे सायंडींग पर पहुचना है जो की रेल्वे वेगन द्वारा खंडवा जा रहा है. कोयलें की ट्रान्सपोर्टींग जिम्मेदारी साईकृपा ट्रान्सपोर्ट कंपनी को दी है जिनके मालिक दिलबाग सिंग धांडा है!

*कौन है दिलबाग सिंग धांडा….
दिलबाग सिंग धांडा युह तो पहले ट्रान्सपोर्टींग से कोई वास्ता नही रखते ते,मगर वो सैनिक पेट्रोल पंप पर वर्ष 2005 से लेकर 2011 तक पेट्रोल पंप पर राजुरा मै काम करते थे! प्रथमता उन्हे सन 2013 मे सास्ती ओपन कास्ट से ट्रान्सपोर्टींग का बकायदा टेंडर मिला उन्होने तब SK नाम से ट्रान्सपोर्ट का रजिस्ट्रेशन कर काम शुरु किया मात्र उनके पास ना तो कोई ट्रक थे ना कोई लोडर फिर उन्होने अपने ही एक मित्र जो की तब राजुरा के नामचिन हस्तींयो मै गिन्हे जाते थे जो की ट्रान्सपोर्ट मै अपना नाम रखते थे ऐसे नितीन नगराळे के पास से 10ट्रक और एक लोडर लेकर (किरायेसे )काम शुरु किया. तीन महिने बाद SK कंपनी का काम बंद हुवा वो काम फिर राजेश नामक व्यक्ती को मिला.फिर उसके साथ भी दिलबाग सिंग ने काम किया और धीरे धीरे मार्केट मै अपनी जगह बनायी. जब काम की शुरुवात तब मदत करणे वाले मित्र नितीन को ही अपने दस लाख रुपयोके के लिये काफी चक्कर काटणे पडे. धीरे धीरे कोयले के काम को आगे बढाते हुवे दिलबाग सिंग ने करीब 250ट्रक के उपर और 40लोडर मशीन भी खुद की बना लेणे की खबर है. साथ ही एक पेट्रोल पंप तथा एक बडा ढाबा भी बना लिया है! महज कम समय मै दिलबाग सिंग जी की मेहनत काफी चर्चा का विषय बनी हुयी है. सूत्रो द्वारा बताया जा रहा है की कोयले के काले साम्राज्य मै दिलबाग सिंग ने काफी नाम कमा रखा है.

 

*कोयले की तस्करी मै गाडी ब्लॅकलिस्ट..
ऐसा नही है की दिलबाग जी काम पुरी तरह दूध के तरह साफ है इनकी गाडिया भी ब्लॅकलिस्ट हुवी है!और ड्राइवर भी,इनपर आरोप था की कोयला खदान से गाडी को कोयला लाधकर इन्होने जो साईड पर लाना था वो उसे पहले कही और.. और फिर घुमाकार (हेरा-फेरी )कर साईड पर पहुचे लेकिन पेट्रोलिंग वाहन ने इन्को पकडा जिसमे दिलबाग जी ने खुद के SKT ट्रान्सपोर्ट को वेस्टर्न कोल फील्ड से ब्लॅकलिस्ट होणे से साठ गाठ कर बचाया. फिर क्या तो दिलबाग जी की गाडिया और कोयला आज चार लाख मेट्रिक टन का काम कर रही है. पाच दिन पूर्व भी SKT के साथ काम करणे वाले गाडी को भी ऐसी तरह पकडा गया है. जिसमे वो गाडी को राजुरा के थाने मै लगाये जाणे की जाणकारी आ रही है.

**कोयले के हेराफरी को *वॉशरी* मै अंजाम…
सूत्रो द्वारा मिली जाणकारी के अनुसार कोयले से लधा हुवा ट्रक राजुरा के समीप एक वॉशरी मै कोयला खाली कर डस्ट, रिजेक्ट कोल, चुरी को मिलाकार अपने साईड पर पहुच जाता है. ना किसी की रोख ठोक ना कोई परेशानी अच्छा माल की हेराफरी यहा पर खुलेआम की जाती है.

लग रहे *आरोप* ? कौन है *विकास* *अग्रवाल* ....

विकास अग्रवाल पिछले कई सालो से कोयले के काम मै लिफ्त है. उनके चर्चे हमेशा कोयला मार्केट मै बडे व्यापारी के रूप मै सुने जाते है. कोयले के व्यापार मै अगर हाथ काले ना हो तो उसे व्यापार ही नही कहते ये बडा दिलचस्प किस्सा सुना जाता है. जब हमने इस मार्केट की छानबीन की तो पता चला कोयले के मार्केट का सबसे बडा रहस्य तो यहा दफन है.
विकास अग्रवाल पर आरोप है की कोयले की हेराफरी कर कोयला खुले बाजार मै जोरो शोरो से बेच रहा है?कोयले के एक व्यापारी ने नाम ना छापणे की शर्त पर बताया की सब काली करतुत विकास और दिलबाग की है. कुछ दिन पूर्व एक व्यापारी द्वारा विकास अग्रवाल को कोयले के लिये जो की 100टन के करीब खरीद करणे की इच्छा जताई, पर विकास अग्रवाल के तेवर ऐसे थे की पाच करोड दस करोड के नीचे का कोयला मै नही बेचता. अब बात भी सही है करोडो मै खेलने वाले छोटे व्यपारी को क्यू कोयला दे. विकास बाबू के दसो की दसो उंगलीया घी के कढई मै है.
कोयले के इस गोरख धंधे मै जो चोट पहुच रही है वो मध्यप्रदेश पॉवर प्लांट को अगर उनकी ही साठ गाठ हो तो क्या होगा?