वनविभाग के दुबे और चिवंडे को पत्रकारो की एल्लर्जी?
मूर्खता की बेतुकी बाते…..
पत्रकारो द्वारा डाला गया बहिष्कार!
चंद्रपूर – मूर्खता ता की हद तब हो गई, जब वनविभाग के दो आला अधिकारी्योने पत्रकारो के सामने ही चौकाने वाली बडी ही बोलबच्चन बात कह दि!मौकाये वारदात पर खडे पत्रकारो की मानो,जैसे पैरो तले जमीन ही खिसक गयी. वनविभाग के वो दो अधिकारी की बात येह थी की अगर दस से बाराह पत्रकार यदी झरी गेट से होकर यदी जटायु (गिद्ध)के कार्यक्रम स्थल पर (कव्हरेज)के लिये जाते है तो उनकी मौत हो सकती है? जिससे निमंत्रण देने वाले ही विभाग द्वारा पत्रकारो की गजब की बेइज्जती की गयी. जिससे पत्रकार बौखलाकर वनविभाग के कार्यक्रम पर बहिष्कार डालकर निकल पडे.
पालकमंत्री तथा वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार द्वारा कल जटायु (गिध्द)मुक्त संचार के लिये राजस्थान से लाये गये आठ गिध्ददो को ताडोबा के जंगलो मे छोडा जाना था जिसके लिये वनविभाग द्वारा इस कार्यक्रम को कव्हर करणे हेतू पत्रकारो को भी निमंत्रीत किया गया. इस दौरान वनविभाग द्वारा कुछ गिने चुने पत्रकारो को छोडकर बाकी पत्रकारो को गेट पर ही रोख दिया गया सबसे बडी बात तो येह थी की उन पत्रकारो मे डीआयओ अधिकारी राजेश येसालवार भी मौजुद थे उनको भी इन वनविभाग के होशियार दुबे और चिवंडे नामक अधिकारी्योने रोक दिया. अगर इन अधिकारीयोको रोखना ही था तो आखिर बुलाया क्यू? ऐसे कही सवाल पत्रकारो द्वारा उन वनविभाग के अधिकारीयोको दागे गये लेकिन मूर्खता की हद पार करणे वाले अधिकारी ठस से मस नही हुये!
गिद्ध प्रजाती के बारे मे कम जानकारी रखणे वाले और बेतुका बाते कहने वाले ऐसे अधिकारोयोको तुरंत निलंबित करणे की मांग पत्रकारो द्वारा की गयी है!
… क्या बाकी अधिकारी और पत्रकारोको विशेष रूप से सॅनिटाइज किया गया क्या?
बौखलाये पत्रकारो द्वारा जैसे ही दुबे और चिवंडे जो की (RFO )आर एफ ओ का पदभार संभालते है उनके गिध्द की मौत के विधान से पत्रकारो मे से सुनील तायडे द्वारा बाकी पत्रकारो तथा अधिकारीयोको क्या विशेष रूम मे सॅनिटइज करकर भेजा गया क्या? सवाल डागते ही वनविभाग के अधीकारी हाथ जोडते हुये नजर आये. आखिरकार भडकते माहोल को देखते हुये दुबे और चिवंडे द्वारा क्षेत्र संचालक डाँ. रामगिरवार द्वारा येह आदेश दिये जाने की जानकारी दि. जब इस प्रकार की हरकत यदी होती हो तो उसे गैरजिम्मेदारी और लापारवाही समजणा गैर नही है. अगर पत्रकारो से इतनी एल्लरजी है तो बुलाने की और न्योता देने की भविष्य मे जरुरत नही है. सॅनिटइज लोगो को ही वनविभाग निमंत्रीत कर सकता है.
कानून न वेहिकल ऍक्ट का भी किया उल्लंघन?
एक गाडी मे (कृजर)औसतन 10से 15लोगो की बैठने की व्यवस्था होती है उसमे ठुस ठुस कर करीब तीस के आसपास लोगो को बिठाकर वनविभाग द्वारा कार्यक्रम स्थल पर लें जाया गया, क्या येह कानून का उल्लंघन नही है? क्या गैरजीमेदारांना अधीकारीयो पे कारवाई नही होनी चाहिए? ऐसे ही दो गाडीयो मे ठुस ठुस कर लोगो को बिठाकर कानून की व्यवस्था को ठेंगा दिखाने वाले और खुद की होशियारी से गुमराह करणे वालोअधिकारीययो पर सक्त कारवाई की मांग पत्रकारो द्वारा की गई है.