बस आखरी वॉर्निंग… केपिसील को आखरी दो टूक.. पंधरा दिनो का समय-शिंदे

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बस आखरी वॉर्निंग… केपिसील को आखरी दो टूक.. पंधरा दिनो का समय-शिंदे

चंद्रपूर -(सुशांत घाटे )

पिछले कई अर्सो से कर्नाटक पॉवर जनरेशन कंपनी भद्रावती के बरांज से कोयला उत्तखंनं कर रही है. यहा पर कंपनी प्रबंधन द्वारा नियमो को ताक पर रकते हुये, मनमानी करोभार कर रही है. पिछले कई सालो से काम करणे वाली यह कंपनी कामगारो को लेकर बेपर्वाह नजर आ रही है. बरांज स्थित येह कंपनी रोजाना करोडा का तो कोयला निकालती पर काम करणे वाले मजदूरो को उनकी रॉयल्टी देने मै काफी उदासीन दिखती है. ऐसे ही मामले को लेकर अब शिवसेना के (उभाठा) के वरोरा विधानसभा प्रमुख रवीद्र शिंदे ने कंपनी के खिलाफ सक्त रवैया अपनाते हुये,केपीसील को आडे हाथो लेथे हुये लेकर, अगर सीधे उंगलीयोसे घी नही निकलती होंगी,तो उंगली टेडी करणे की सिधी दो टूक प्रशासन के सामने कह दि है!अब तक रवींद्र शिंदे द्वारा कंपनी प्रशासन और जिल्हा प्रशासन को बारबार इस संबंध मै कई निवेदन और लिखित पत्रौ द्वारा समस्यायोको सूचित किया गया पर उनके इन हिदा्यातोको नजर अंदाज किया गया आखिर कार उनका प्रशासन की चुप्पी देखकर माथा ठणक उठा और प्रशासन को आखरी बार चेताकर अंतिम 15दिनो की वॉर्निंग दे डाली. प्रशासन अधिकारी यो के साथ उन्होने अपनी बात रखते हुये कंपनी प्रशासन की उदासीनता और ग्रामीण इलाको के नुकसान से अवगत कराया जब स्थानिक रोजगार 80 प्रतिशत हो तो रोजगार को अनदेखा क्यू और जल और वायू प्रदूषण की जीमेद्दारी किसकी ऐसे कई मुद्दओ को लेकर रवी शिंदे द्वारा आज भद्रावती के प्रशासनिक कार्यालय आक्रमकता दिखाई दि अगर पंधरा दिनो के भितर केपीसील द्वारा सही निर्णय और कामगारो के मुद्दओ को सही और निर्यातमक तरिको से नही किया गया तो कानूनन हाथ लेकर वो अपना फैसला खुद करणे के चेतावणी दि है!और उसके लिये खुद कंपनी प्रशासन जिम्मेदार रहने की हिदायद भी रवी शिंदे ने दि दि है.

कौन है रवी शिंदे…..

आक्रमक रवैया अपनाने वाले रवी शिंदे एक जमाने मे काँग्रेस के युवा नेतृत्व थे उन्होने कई आंदोलन नो मै अपना नाम बनाकर सहकार क्षेत्र मै भी अपना स्थान बनाया है. वो अगर कोई चीज ठान लें तो वो कोई कसर छोडथे नही पिछले कई अर्सो से वो राजनीतिक गथीविधी यो में शामिल है और उन्हे राजनीतीक तिलक के साथ सोयी हुयी प्रशासन व्यवस्था को जागृत करणा अहंम उद्देश रखते है उनका लहजा मानो सो सोनार की एक लोहार की कामयाबी रखने का हौसला बुलंदि रखते है.