जिला क्रीड़ा अधिकारी का तुगलकी फरमान, जिला क्रीडा संकुल को बनाया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी।

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चंद्रपुर, सुनील तायडे, संपादक

अब खेलने वालों को 3000 से 5000 सिखाने वालों को हजार रुपए प्रति खिलाड़ी और फुटबॉल वालों को ₹100000 साल के भरने होंगे

2 दिन पूर्व विवादों से भरा सिंथेटिक ट्रेक लोकार्पण कार्यक्रम और जिला क्रीड़ा अधिकारी के उटपटांग कार्य का हंगामा अभी रुका भी नहीं था तो प्रवासिय जिला क्रीड़ा अधिकारी अविनाश पुंड ने एक और पराक्रम कर दिया। एक और जहां पालक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार अपनी ताकत लगाकर बड़े-बड़े फंड लाकर क्रीड़ा संकुल का उद्धार करके वहां राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनाने का सपना देख रहे हैं वही भ्रष्टाचार से भरे क्रीडा कार्यालय के जिला क्रीड़ा अधिकारी ने जिला स्टेडियम को अब प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने का काम शुरू कर दिया है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जहां एक और खिलाड़ियों को इंफ्रास्ट्रक्चर मिलने के बाद मुफ्त में क्रीड़ा साहित्य और प्रशिक्षण मिलना चाहिए वही इस क्रीड़ा अधिकारी ने स्टेडियम के बाहर एक बड़ा बोर्ड लगाकर अब स्टेडियम में प्रवेश करने वाले खिलाड़ियों और लोगों पर भारी भरकम शुल्क लगा दिया है। जिसके खिलाफ लोगों में और खिलाड़ियों में जबरदस्त रोष उत्पन्न हो गया है।
बिना दिनांक के लगाए गए इस नियमावली बैनर के अनुसार अब खिलाड़ियों को ₹300 महीना या ₹3000 वार्षिक, कीड़ा प्रेमी और बाकी लोगों को ₹500 महीना या ₹5000 वार्षिक, सिखाने वाले प्रशिक्षकों को हजार रुपया प्रति खिलाड़ी प्रतिवर्ष और फुटबॉल ग्राउंड वापरने के लिए ₹100000 प्रतिवर्ष भरने होंगे। उसी तरह अब कोई भी बिना जूते पहने और बिना स्पोर्ट्स किट के स्टेडियम में प्रवेश नहीं कर पाएगा ऐसा तुगलकी फरमान जिला क्रीड़ा अधिकारी ने जारी किया है। शायद वह भूल गए हैं की हमारे देश में मैदानी खेल खेलने के लिए गरीब और मध्यम वर्ग के ही बच्चे आते हैं जिनके पास में स्कूल के लिए भी ड्रेस या जूते या तो नहीं होते या तो फटे होते हैं। उसी तरह से खिलाड़ियों के अलावा वहां आने वालों की ज्यादा संख्या वरिष्ठ नागरिकों की है जो अपने स्वास्थ्य हेतु वाकिंग करने आते हैं तो क्या अब यह वरिष्ठ नागरिक अपने रिटायरमेंट के बाद अपने स्वास्थ्य के लिए ₹5000 सालाना जिला क्रीड़ा अधिकारी को देंगे?
हमें पता है इस आपत्ति पर जिला क्रीड़ा अधिकारी जिला संकुल को रखरखाव की जरूरत के लिए पैसों की दुहाई देंगे तो वह यह बताएं किसके कहने पर उन्होंने सिंथेटिक ट्रैक के लोकार्पण कार्यक्रम में लाखों रुपए की बर्बादी की थी क्या वह पैसा इन खिलाड़ियों के जूते और कीट के लिए तथा क्रीडा संकुल के रखरखाव के लिए काम नहीं आ सकता था ऐसा प्रश्न अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी और शिवछत्रपती पुरस्कार विजेता राजेश नायडू ने यहां उपस्थित किया है उसी तरह उन्होंने चेतावनी दी है की अगर यह नियमावली रद्द नहीं की गई तो शिवसेना प्रणीत शिक्षक सेना और जन विकास सेना की ओर से आंदोलन किया जाएगा और जिला क्रीड़ा अधिकारी को भी जिला स्टेडियम में पांव नहीं रखने देंगे उसी तरह से स्टेडियम को ताला मारो आंदोलन करेंगे ऐसी चेतावनी शिक्षक सेना के राजेश नायडू और जन विकास सेना के पप्पू देशमुख और कांग्रेस के पूर्व पार्षद सुनीता लोढिया तथा नंदू नागरकर ने दी है। इस अवसर पर सुनीता लोढिया, नंदू नागरकर और राजेश नायडू ने मिलकर अतिरिक्त जिलाधिकारी को एक निवेदन भी दिया।